ट्विंकल खन्ना द्वारा लिखित लक्ष्मी प्रसाद की कथा अब हिंदी में उपलब्ध है। यह पुस्तक लेखक द्वारा लघु कथा लिखने का पहला प्रयास है पुस्तक के केंद्रीय विषय के रूप में नारीवाद के साथ कुल चार कहानियां हैं | प्रत्येक कहानी नारि से संभंधित एक मुद्दा उठाती है और अंत में एक समाधान भी सुझाती है | हर कहानी का मुख्य पात्र समाज के स्थापित नियम कायदे कानून जो इंसान और समाज के प्रगति में बाधक साधित हो रहे है उन्हें मानने से इंकार कर देते है और एक नयी राह पर चल देते है जो की कठिन तो है पर जरुरी भी है |
कहानियां बहुत ही सरल भाषा और शैली में लिखी गयी है जो कि ट्विंकल खन्ना की लेखन शैली, जिससे हम लोग परिचित है, उससे काफी अलग या तो यु कहे बिलकुल विपरीत है. जो कि पहली बार में काफी निराश करती है क्यों की इस बात की अपेक्षा रहती है वे कुछ हास्य और व्यंग युक्तियों से बातों ही बातों में बहुत गहराई की बात कह जाएगी जो की मन को झंझोर देती है | कहानियो में ट्विंकल खन्ना के ट्रेडमार्क वन लाइनर की कमी जरूर खलती है पर फिर भी कर कहानी भावनाओं को उत्तेजित करती है और व्यावहारिक संदेश देती है |
एक दुबली और लंबी सी लड़की पूरे गांव को बदल देती है. लक्ष्मी प्रसाद लड़कियों को स्वावलंबी बनाने के लिए एक उपाय सुझाती है जिसे लड़की को माँ बाप बोझ न समझे, पढ़ लिख कर अपने जीवन के फैसले खुद लेने लायक हो जाये और ससुरालवाले के जुलम भी सहन नहीं करने पढ़े |
अड़सठ साल की बूढ़ी नोनी आपा एक शादीशुदा आदमी की ओर आकर्षित हैं पर साथ में ये भी सोचती है की लोग क्या कहेंगे |ये हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या है की लोग क्या कहेंगे जिसके चलते नोनी अप्पा अपनी दिल की आवाज़ का गला घोट देती है | पर समय के उलटफेर उनकी इस सोच को बदल देता है
बबलू केवट का परिवार आतंकित है कि उसपर सेनिटरी नैपकिन्स का जुनून सवार है और पांच शादियां करनेवाली एक नौजवान लड़की अपनी हरेक शादी के मंसूबे बनाते वक्त मौसम की भविष्यवाणियों पर नज़र रखती है |